जयपुर. प्रदेश के बाघ अभयारण्यों में लगातार बाघों का कुनबा तो बढ़ रहा है, लेकिन उसके हिसाब से बाघों का घर बड़ा करने पर सरकारी तंत्र नाकाम हो रहा है। पिछले 15 साल की बात करें तो प्रदेश में सिर्फ 26 बाघ थे, आज बढ़कर उनकी संख्या 95 हो गई है, लेकिन बढ़ती बाघों की संख्या के बीच सरकार उनको मुफीद जगह मुहैया नहीं करवा पा रही। हालात ये हैं कि पिछले करीब तीन साल से किसी भी बाघ अभयारण्य में एक भी गांव विस्थापित नहीं हो सका है। 2017 में रणथम्भौर में आखिर बार भिड़ गांव के कुछ परिवारों को विस्थापित किया था। इसके बाद से सभी अभयारण्यों के जंगल में बसे गांवों को विस्थापित करने की प्रक्रिया ठंडे बस्ते में है।